Golden Temple History: स्वर्ण मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें नहीं जानते होंगे आप
अमृतसर का स्वर्ण मंदिर केवल सिक्खों का पावन धर्म स्थल ही नहीं है बल्कि भारत के सबसे प्रसिध्द मंदिरों में से एक है। आप शायद इस बात से अनजान होंगे कि सिक्खों के आस्था के प्रतीक स्वर्ण मंदिर की नींव सूफी संत साई हज़रत मियां मीर द्वारा रखी गई थी।कहा जाता है कि गोल्डन टेंपल के निर्माण के लिए ज़मीन मुस्लिम शासक अकबर ने दान की थी। इसलिए कहा जाता है स्वर्ण मंदिर- इस मंदिर को स्वर्ण मंदिर का नाम मंदिर के बाहरी परत पर चढ़ी सोने सोने की चादर की वजह से दिया गया था, जिसे मंदिर बनने के कईं सौ साल बाद महाराजा रंजीत सिंह ने चढ़वाया था। इससे पहले मंदिर को दरबार साहिब या हरमंदिर साहिब के नाम से ही जाना जाता था।
इस मंदिर में न सिर्फ सिख धर्म के लोग, बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी इसके धार्मिक महत्व और अद्भुत बनावट को देखने आते हैं। गोल्डन टेम्पल को हरमिंदर साहेब और श्री दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है। वहीं आज हम आपको अपने इस लेख में स्वर्ण मंदिर का निर्माण, इसका इतिहास एवं इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बता रहे हैं, जो कि इस प्रकार है-
मंदिर के सरोवर में औषधीय गुण मौजूद है। जो भी भक्त दरबार साहिब के दर्शन करने आता है। वो सरोवर में हाथ-पैर धोकर ही अंदर प्रवेश करता है।
सभी धर्मों के लोगों के लिए खुले हैं द्वार- स्वर्ण मंदिर के द्वार सभी धर्मों के अनुयायियों की आने की अनुमति है। चारों दिशा में बने इस मंदिर के चार द्वार इसी बात की ओर इशारा करते हैं कि इस मंदिर में किसी भी धर्म, जाति, जगह के लोग आ सकते हैं।
यहां होती है सबसे बड़ी लंगर सेवा- यहां रोज़ दुनिया का सबसे बड़ा लंगर आयोजित किया जाता है जिसमें लाखों लोग भोजन करते हैं।
जीवन से जुड़ी सीख देती हैं मंदिर की सीढ़ियां- मंदिर की सीढ़ियां नीचे से ऊपर की ओर नहीं बल्कि ऊपर से नीचे की ओर जाती हैं जो ये दिखाती है कि जीवन में हमेशा नम्र रहना चाहिए और ज़मीन से जुड़े रहना चाहिए।