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Krishna Janmashtami :क्या कारण था कि श्री कृष्ण ने राधा को छोड़ कर रुक्मणि को अपनाय

Krishna Janmashtami: What was the reason that Shri Krishna left Radha and adopted Rukmani?

Krishna Janmashtami :क्या कारण था कि श्री कृष्ण ने राधा को छोड़ कर रुक्मणि को अपनाय

इस बार कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त 2025 को है. त्योहार को भव्यतापूर्ण मानने को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात 12 बजे होने से उसी समय उनके बाल स्वरूप की पूजा होती है वैसे कृष्ण-राधा दोनों को आपस में बालकाल में प्रेम हो गया था. उनके अगाध प्रेम के किस्से देश तो क्या, विदेशों तक में भी प्रचलित हैं. लेकिन, एक समय के बाद उनका प्रेम अधूरा रह गया था. इस अधूरे में को जानने को लेकर लोगों के जहन में सैकड़ों सवाल हैं. ऐसे में एक बड़ा सवाल यही है कि जब कृष्ण और राधा में इतना प्यार था तो दोनों नें शादी क्यों नहीं की? क्यों रुक्मणी से करनी पड़ी शादी? आइए जानते हैं इस में-

श्री कृष्ण के कर्म सिद्धांत कीतो आपको बता दे कि श्री कृष्णा और राधा का प्रेम तो जग जाहिर है, श्री कृष्णा के बीच की रास लीला, श्रृंगार का बदलाव, होली समारोह इत्यादि तो किसी भी इंसान को पता है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि श्री कृष्णा ने राधा से विवाह नहीं किया बल्कि रुक्मणि से विवाह किया था। जबकि राधा तो कृष्णा की परम मित्र और प्रिया थी।  इसके प्रमाण स्वरुप राधा चालीसा में कुछ चौपाई भी मिलती है,

श्री कृष्णा ने राधा से विवाह नहीं किया – अब हम आपको बताने जा रहे है उस रहस्य के बारे में जिसे हर कोई जानना चाहता है, हर किसी के मन में हमेशा उत्कंठा रहती है कि आखिर क्यों श्री कृष्णा ने राधा से विवाह नहीं किया। तो हम आपको बता दे कि राधा और रुक्मणि दोनों एक ही रूप है. और इससे भी बड़ी बात यह है कि राधा और रुक्मणि और कोई नहीं बल्कि खुद लक्ष्मी माता का ही रूप है। इसलिए जब तक श्री कृष्ण वृन्दावन में रहे तब तक वह राधा के रूप में श्री कृष्णा के साथ रहे और जब जरासंध के हमलो से मथुरानगरी  परेशान होने लगी तब श्री कृष्णा ने मथुरा को छोड़ कर द्वारिका पूरी यानी गुजरात में जा बसे।और फिर कुछ ही समय बाद रुक्मणि की तपस्या से प्रसन्न हो कर उसका हरण कर लेते है।

आम तौर पर श्री कृष्ण को लेकर एक बात बहुत प्रसिद्द है कि श्री कृष्णा की 16 हज़ार रानिया थी।  इससे ये बात जाहिर होती ही है कि कृष्णा ईश्वर का ही रूप थे क्योंकि किसी मनुष्य के लिए यह मुमकिन नहीं है। लेकिन वास्तविकता में श्री कृष्णा की तीन रानी ही रही है.. जिसमें से प्रमुख थी… रुक्मणि, सत्य भामा, जाम्बन्ती इत्यादि। इसमें रुक्मणि को पटरानी यानी शीर्ष रानी का पद प्राप्त था।

इस वजह से श्री कृष्णा ने राधा से विवाह नहीं किया – अतः कह सकते हैं कि यह सब श्री कृष्ण की ही माया थी कि उन्होंने मथुरा में राधा को अपनाया तो द्वारिका में रुक्मणि को।

AUTHOR :KRISHNA SINGH

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