Sawan 2025: सावन में सुहागिन महिलाएं क्यों पहनती हैं हरी चूड़ियां? जानिए वजह
हिन्दू धर्म में सावन के महीने का बहुत अधिक महत्व है और सुहागिन महिलाओं के बहुत ही खास होता है. सावन को श्रावण मास भी कहते हैं. यह माह भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है और इस दौरान प्रकृति चारों ओर हरियाली से सराबोर रहती है. सुहागिन महिलाओं द्वारा सावन में हरी चूड़ियां पहनने की परंपरा बहुत पुरानी है और इसके पीछे कई धार्मिक, ज्योतिषीय महत्व है.
सावन में हरी चूड़ियां पहनना केवल एक सौंदर्य रस्म नहीं, बल्कि हमारी परंपरा, आस्था और वैज्ञानिक सोच का सुंदर संगम है। यह नारी सशक्तिकरण, प्रकृति से जुड़ाव और स्वास्थ्य संतुलन का प्रतीक बन चुका है। धार्मिक आस्था के साथ-साथ अगर इसके वैज्ञानिक पक्ष को भी समझा जाए, तो यह परंपरा और भी अधिक सार्थक और सम्माननीय प्रतीत होती है।
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है और हरा रंग (हरियाली) उन्हें अति प्रिय है, क्योंकि वे प्रकृति के बीच, हिमालय में निवास करते हैं. उनकी पूजा में भी बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि हरे रंग की चीजें अर्पित की जाती हैं. माता पार्वती को भी हरा रंग बहुत पसंद है, और उन्हें 16 श्रृंगार का सामान अर्पित किया जाता है, जिसमें हरी चूड़ियां मुख्य रूप से शामिल होती हैं.
मान्यता है कि हरी चूड़ियां पहनने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और सुहागिनों को अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद प्रदान करती हैं. इसलिए हरा रंग सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि हरी चूड़ियां पहनने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और सुहागिनों को अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद प्रदान करती हैं. इसलिए हरा रंग सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है