बर्ड फ्लू वायरस को लेकर चौंकाने वाला खुलासा, हो जाये सावधान
बर्ड फ्लू को लेकर एक नई साइंटिफिक खोज ने एक्सपर्ट्स के बीच चिंता बढ़ा दी है। आमतौर पर माना जाता है कि बुखार शरीर के नैचुरल कवच की तरह काम करता है और कई इंफेक्शन से बचाता है, लेकिन रिसर्चर्स ने पाया है कि बर्ड फ्लू वायरस तेज बुखार में भी बढ़ते रहते हैं, जिससे इंसानों के लिए खतरा बढ़ सकता है।

जब इंसान के शरीर में कोई गंभीर इंफेक्शन होता है, तो तापमान बढ़ जाता है, जिससे बुखार होता है। यह बढ़ा हुआ तापमान वायरस को कमजोर करने में मदद करता है। रिसर्च से पता चला है कि ह्यूमन फ्लू वायरस, जिसे इन्फ्लूएंजा A के नाम से जाना जाता है, बुखार से तेजी से कमजोर हो जाता है। शरीर के तापमान में सिर्फ दो डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी कभी-कभी एक खतरनाक इंफेक्शन को हल्की बीमारी में बदल सकती है।
साइंस जर्नल में छपी एक हालिया स्टडी से पता चलता है कि एवियन या बर्ड फ्लू वायरस बुखार से भी कमजोर नहीं होते हैं। कैम्ब्रिज और ग्लासगो यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट ने पाया कि बुखार इंसानों में होने वाले फ्लू वायरस को बढ़ने से रोकता है, लेकिन बर्ड फ्लू वायरस पर इसका बहुत कम असर होता है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि बर्ड फ्लू वायरस इंसान के शरीर के ऊपरी हिस्से में कम और सांस की नली के निचले हिस्से में ज़्यादा एक्टिव होते हैं।
अपने नेचुरल होस्ट, जैसे बत्तख और समुद्री गिलहरी में, ये वायरस अक्सर आंतों को इन्फेक्ट करते हैं, जहाँ टेम्परेचर नेचुरली 40–42°C तक पहुँच सकता है। इसीलिए ज़्यादा टेम्परेचर उन पर ज़्यादा असर नहीं डालता।
यह रिसर्च चेतावनी देती है कि बर्ड फ्लू वायरस एक आम फ्लू वायरस की तरह काम नहीं करता है। यह ज़्यादा तापमान पर भी एक्टिव रहता है, इसलिए इन्फेक्शन को रोकने के लिए सिर्फ़ नेचुरल इम्यूनिटी पर निर्भर रहना काफ़ी नहीं है। साइंटिस्ट का मानना है कि इस वायरस के नेचर को समझना और उसके हिसाब से बचाव और इलाज के तरीके बनाना बहुत ज़रूरी है।