One of the four sacred shrines of Hinduism, the Jagannath Temple in Puri is a symbol of India's spiritual and cultural heritage.
Rath Yatra 2025: जगन्नाथ मंदिर पुरी का रहस्य क्यों हवा के विपरीत दिशा में लहराता जाता है झंडा!
हिंदू धर्म के चार धामों में से एक, जगन्नाथ मंदिर पुरी भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह मंदिर ओडिशा के पुरी शहर में बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, जो भगवान विष्णु के ही एक अवतार हैं। उनके साथ उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र की भी पूजा की जाती है। इन तीनों देवताओं की प्रतिमाएं चतुर्भुज वाली हैं, जिनका निर्माण नीम की लकड़ी से किया गया है। इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष प्राप्ति का विश्वास किया जाता है।
जगन्नाथ मंदिर का इतिहास वैदिक काल से जुड़ा है। माना जाता है कि पूर्वी गंग राजवंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग ने 10वीं शताब्दी में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, जबकि इसकी मूल स्थापना राजा इंद्रद्युम्न ने की थी।
जगन्नाथ मंदिर से जुड़े बहुत से रहस्य है जिसमे से एक है मूर्तियों की विशेषता यह है कि इन्हें हर 12 साल बाद बदला जाता है, और केवल एक पुजारी को ही मूर्तियों को बदलने की अनुमति होती है। मान्यता है कि जब पुरानी मूर्ति से नई मूर्ति बदली जाती है, तो पुरानी मूर्ति से एक ब्रह्म पदार्थ निकाला जाता है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण का हृदय माना जाता है। इस ब्रह्म पदार्थ को नई मूर्ति में रखने से माना जाता है कि उसके दर्शन से जीवन की मुक्ति प्राप्ति होती है।
मंदिर पर लगे झंडे का बदलना विशेष अर्थ और शक्ति है। यह झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है और इसके बदलने का माना जाता है कि इसे न करने पर मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो सकता है।
मंदिर के शिखर पर स्थापित सुदर्शन चक्र को कहीं से भी देखने पर हमेशा सीधा दिखाई देता है। यह अनोखी विशेषता उसको बनाती है कि यह हमेशा उस दिशा में होता है जिसमें देखने वाले को उसकी योग्यता और शक्ति का एहसास कराता है।